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के शहरों पठार विभाग:
पठार विभाग
पठार विभाग-एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान
विरासत स्थल के रूप में चयन के लिए विचाराधीन है। इस राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य भाग ऊँचे लहरदार पर्वतीय पठार का क्षेत्र है, जिसका आधार औसतन २००० मीटर का है।
पठार विभाग-पोतोसी विभाग
का अधिकतर भूभाग एक शुष्क पहाड़ी इलाक़ा है और इसके पश्चिमी भाग में एक बड़ा पठार जिसमें सालार दे उयुनी नामक विश्व का सबसे बड़ा नमक का मैदान स्थित है। स्पेनी
पठार विभाग-लेना नदी
मैदानों में फैल जाता है, जिससे दलदल बन जाते हैं। लेना नदी मध्य साइबेरियाई पठार से दक्षिण में १,६४० मीटर की ऊँचाई पर बायकाल पर्वतों में शुरू होती है। इसका
पठार विभाग-सिचुआन
बनाई गई हैं। जिउझाईगोउ घाटी गारज़े तिब्बती विभाग ज़ितोंग ज़िला राजधानी चेंगदू चिआंग लोग चेंगदू तिब्बत का पठार The Rough Guide to China Archived 2014-07-25
पठार विभाग-भारत का भूगोल
और दक्षिण में विस्तृत हिंद महासागर, एक ओर ऊँचा-नीचा और कटा-फटा दक्कन का पठार है तो वहीं विशाल और समतल सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी, थार के विस्तृत
पठार विभाग-ल्हासा
बचने वाली सब से अच्छी जगह है। लाह्सा “विश्व छत ”कहलाने वाले छिंग हाई तिब्बत पठार पर स्थित है। औसत समुद्र सतह से 3600 मीटर से ऊपर होने की वजह से नीची हवा दबाव
पठार विभाग-भानगढ़ दुर्ग
हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा इस क्षेत्र में सूर्यास्त के बाद किसी भी व्यक्ति के रूकने की अनुमति नहीं है। भानगढ़ दुर्ग काकनवाड़ी के पठार पर स्थित है। भानगढ़
पठार विभाग-लेह ज़िला
के केंद्रशासित लद्दाख़ राज्य का एक ज़िला है। जो हिमालय से पार तिब्बत के पठार के पश्चिमी भाग पर विस्तारित है। लेह ज़िले का मुख्यालय लेह शहर है, 3,500 मीटर
पठार विभाग-शहडोल ज़िला
पूर्व देशांतर से 82 डिग्री 12’ पूर्वी देशांतर में स्थित हैं। जिला डक्कन पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में आता है। शहडोल जिले के निकट डिंडौरी, जबलपुर, सतना
पठार विभाग-अफ़्रीका
निम्न पठार भूमध्य रेखा के उत्तर पश्चिम में अन्ध महासागर तट से पूर्व में नील नदी की घाटी तक फैला हुआ है। इसकी ऊँचाई 300 से 600 मीटर है। यह एक पठार केवल
पठार विभाग-लिजिआंग, युन्नान
विभाग-स्तरीय शहर है। सन् २०१० में इसकी आबादी १२,४४,७६९ अनुमित की गई थी। यह युन्नान की सिचुआन प्रान्त के साथ लगी सरहद के पास है और चिंगहई-तिब्बत पठार और
पठार विभाग-लाओस
उच्च क्षेत्र के साथ सीमा बनाती है। उत्तर में ज़ियांगखॉंग पठार और दक्षिणी छोर पर बोलावेन पठार स्थित है। लाओस को तीन भौगोलिक क्षेत्रों से मिलकर बना माना
पठार विभाग-विज्ञान एक्सप्रेस
गंगा के मैदानों, उत्तर पूर्वी पहाड़ियों, रेगिस्तान, तटीय पश्चिमी घाट, दक्कन पठार और विभिन्न द्वीपों में जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शता था। बच्चों के लिये
पठार विभाग-तुर्की
विस्तृत पठार मिलता है। इसके दक्षिण टॉरस की ऊँची पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई है और दक्षिण जाने पर भूमध्यसागरीय तट का निचला मैदान मिलता है। एनाटोलिया पठार में टर्की
पठार विभाग-नम त्सो
झील है और चिंगहई झील के बाद तिब्बत के पठार की दूसरी सबसे बड़ी झील है। चिंगहई झील के बाद नमत्सो तिब्बत के पठार की दूसरी सबसे बड़ी झील है। १९५० में तिब्बत
पठार विभाग-दक्षिण अमेरिका
पेरू के पठार तथा विशाल मीठे जल की झील टिटिकाका है। इस महाद्वीप में मुख्य तीन पठारी भाग है, गायना का पठार, ब्राज़ील का पठार एवं पेटागोनिया का पठार। गायना
पठार विभाग-अक्साई चिन
सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक
पठार विभाग-क्यूबेक
प्रांत पर फ्रांसीसी संस्कृति की छाप है। इसके तीन प्राकृतिक विभाग हैं: (१) कैनाडा का पठार, जिसमें प्रांत का ९३% भाग है, (२) ऐपलैशियन प्रदेश तथा (३) सेंट
पठार विभाग-स्कॉट्लैण्ड
तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं - उत्तरी पहाड़ी भाग। दक्षिणी पठारी भाग। मध्य की घाटी। क्रिस्टली चट्टानों से निर्मित यह पहाड़ी भाग दो बड़े निचले
पठार विभाग-कुनमिंग
जिनमें से ३०,५५,००० इसके शहरी क्षेत्रों में बस रहे थे। यह शहर युन्नान-गुईझोऊ पठार के बीच में स्थित है और दिआन झील के उत्तरी छोर पर स्थित है। पूरा शहर मंदिरों
पठार विभाग-भूचर मोरी
भूचर मोरी, गुजरात के ध्रोल नगर से २ किमी दूर स्थित एक ऐतिहासिक पठार है। यह राजकोट से लगभग ५० किमी दूर स्थित है। यह स्थान भूचर मोरी की लड़ाई और उस लड़ाई
पठार विभाग-लखनादौन
वर्ष पुरानी एकमात्र तहसील है। मध्यप्रदेश के सतपुडा पठार में सिवनी जिला के उत्तर में स्थित लखनादौन पठार एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र लखनादौन, घंसोर, धनौरा
पठार विभाग-भीमबेटका शैलाश्रय
से इसका नाम भीमबैठका (कालांतर में भीमबेटका) पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं।;
पठार विभाग-ग्वालियर का क़िला
अमर कर दिया ,हल्दी घाटी में भी राम सिंह तोमर इन्ही के वंशज थे । एक ऊंचे पठार पर बने इस किले तक पहुंचने के लिये दो रास्ते हैं। एक 'ग्वालियर गेट' कहलाता
पठार विभाग-मध्य प्रदेश
कैमूर पठार और सतपुड़ा पहाड़ी विंध्य पठार (पहाड़ी) नर्मदा घाटी वैनगंगा घाटी गिर्द (ग्वालियर) क्षेत्र बुंदेलखंड क्षेत्र सतपुड़ा पठार (पहाड़ी) मालवा पठार निमाड़
पठार विभाग-ईरान का भूगोल
केंद्र में कई बंद बेसिन हैं जिन्हें सामूहिक रूप से मध्य पठार के रूप में जाना जाता है। इस पठार की समुद्र तट से औसत ऊँचाई लगभग 900 मीटर (2,953 फीट) है,
पठार विभाग-महाराष्ट्र
शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी
पठार विभाग-बीना
यह क्षेत्र मुख्यत: मध्यप्रदेश के पश्चिमोत्तरी क्षेत्र में स्थित मालवा के पठार पर स्थित है। इसके भौतिक स्वरूप की विशेषता धसान, बेबस, सुनार, कोपरा और बामनेर
पठार विभाग-न्येनचेन थंगल्हा पर्वत
नदी) और चांगथंग पठार की बंद जलसम्भर द्रोणियों के बीच में और नम्त्सो झील से दक्षिण में खड़ा है। प्रशासनिक रूप से यह तिब्बत के ल्हासा विभाग के दमझ़ुंग ज़िले
पठार विभाग-सतपुड़ा पर्वतमाला
में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत: ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट
पठार विभाग-जेर्स
का प्रशासकीय विभाग है जो जेर्स, आउर, जिमोने सेव आदि नदियों के प्रवाहक्षेत्र में लगभग ६,२९१ वर्ग किमी॰ पर फैला हुआ है। भूमि अधिकतर पठारी है, जिसकी ऊँचाई
पठार विभाग-फ़्रान्स
है। पूर्व की ओर प्राचीन चट्टानों के भूखंडों का क्रम मिलता है, जैसे मध्य का पठार तथा आर्डेन (Ardennes) पर्वत। इस देश के दक्षिण में पिरेनीज़ तथा ऐल्प्स-जूरा
पठार विभाग-झारखण्ड
बिहार और दक्षिण में ओडिशा से लगती है। लगभग सम्पूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। सम्पूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य
पठार विभाग-गुवाहाटी
कुछ विस्तार मेघालय राज्य में आता है। गुवाहाटी ब्रह्मपुत्र नदी और शिल्लोंग पठार के बीच स्थित है; इसके पूर्व दिशा में नारेंगी नगर है और इसका हवाई-अड्डा, लोकप्रिय
पठार विभाग-पिथौरागढ़
सरोवर थे। दिन-प्रतिदिन सरोवरों का पानी सूखता चला गया और यहाँपर पठारी भूमि का जन्म हुआ। पठारी भूमी होने के कारण इसका नाम पिथौरा गढ़ पड़ा। पर अधिकांश लोगों
पठार विभाग-भीमबाँध वन्य अभयारण्य
बिहार राज्य के मुंगेर ज़िले में स्थित एक वन्य अभयारण्य है। यहाँ छोटे नागपुर पठार की वन से ढकी पहाड़ियाँ हैं। मान्यता है कि महाभारत-काल में भीम ने यहाँ एक
पठार विभाग-कडपा
पालकोंडा पहाड़ियों से घिरा हुआ है और पूर्वी घाट व पश्चिमी घाट के बीच के पठार पर स्थित है। इसका नाम "गडपा" शब्द से उत्पन्न है, जिसका अर्थ "देहाली" होता
पठार विभाग-सरगुजा जिला
कई पहाड़ियों और पठार वाला क्षेत्र है जो इस जिले को एक विहंगम दृश्य प्रदान करते हैं। इस जिले की दो प्रमुख भौगोलिक विशेषताएँ मैनपाट (पठार) और जमीरपट हैं।
पठार विभाग-स्लोवेनिया
नेशनल पार्क, ऎतिहासिक शहर, पत्थरों के भग्नावशेष सरीखे गांव, खुले एल्पाइन पठार, अद्भुत भूमिगत गुफाएं, कंदराओं से निकलती उफनती नदियां, सूरज की रोशनी से नहाया
पठार विभाग-कर्नाटक
यहां के बयलुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिए कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया
पठार विभाग-मेघालय
यहाँ नवपाषाण शैली की झूम कृषि शैली अभी तक अभ्यास में है। यहाँ के हाईलैंड पठार खनिज संपन्न मृदा के साथ साथ प्रचुर वर्षा होने पर भी बाढ़ से रोकथाम करने में
पठार विभाग-पेंच नदी
छिंदवाड़ा ज़िले की तहसील जुन्नारदेव से लगे सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के दक्षिण पठार में उद्गम होता है। दक्षिणपूर्वी सीमा पर इसमें तीव्र मोड़ आता है और यह दक्षिण
पठार विभाग-पेरियार राष्ट्रीय उद्यान
के पहाड़ लकीरें से घिरा है और पश्चिम की ओर यह 1,200 मीटर (3,900 फुट) उच्च पठार में फैलता है। इस स्तर की ऊंचाई से रिजर्व, पम्बा नदी की 100 मीटर घाटी के गहरे
पठार विभाग-छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल
है। मैनपाट इसे छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है। यह सरगुजा जिले में स्थित एक पठार है। यह प्राकृतिक रूप से अत्यधिक समृद्ध है। तिब्बती शरणार्थियों के एक बड़े
पठार विभाग-साइबेरिया
के इनकी वजह से पृथ्वी पर मौजूद 90% जीवों की नस्लें मारी गई। साइबेरिया के पठार की ज़मीन इन्ही विस्फोटों में उगले गए लावा से बनी हुई है। साइबेरिया में मानव
पठार विभाग-बिहार का भूगोल
*सीतामढी *सीवान *सुपौल *शिवहर *शेखपुरा बिहार के दक्षिण में छोटानागपुर का पठार, जिसका अधिकांश हिस्सा अब झारखंड है, तथा उत्तरी भाग में हिमालय पर्वत की नेपाल
पठार विभाग-ब्राज़ील
में जन्तुओं और वनस्पतियों की अतिविविध प्रजातियाँ वास करती हैं। ब्राज़ील का पठार विश्व के प्राचीनतम स्थलखण्ड का अंग है। अतः यहाँ पर विभिन्न भूवैज्ञानिक कालों
पठार विभाग-ताशक़ुरग़ान ताजिक स्वशासित ज़िला
गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र से लगती हैं। ज़िला पामीर क्षेत्र के पूर्वी भाग में स्थित एक पठारी इलाक़ा है, जहाँ कुनलुन, हिन्दुकुश और तियान शान की पर्वत-श्रेणियाँ आकर मिलती
पठार विभाग-भारतमाता मन्दिर, काशी
मध्य भाग में स्थापित भारत के विभिन्न भौगोलिक उपादानों के रूप में पर्वत, पठार, नदी और समुद्र के सजीव निर्माण के लिए संगमरमर के पत्थरों को जिस कलात्मक ढंग
पठार विभाग-बोलिविया
है और अंडेन तलहटी से पैराग्वे नदी तक फैली हुई है। यह मैदानी भूमि और छोटे पठारों का एक क्षेत्र है, जो व्यापक जैव विविधता वाले व्यापक वर्षा वनों से ढका हुआ
पठार विभाग-सीतामऊ राज्य
अक्षांश और 750 17” और 750 36” पूर्वी देशान्तर के मध्य मालवा के दक्षिणी पश्चिमी पठार पर स्थित है। इसकी समुद्र सतह से ऊँचाई 1700 फीट है। सीतामऊ राज्य का क्षेत्रफल
पठार विभाग-भूगोल
यह एक विज्ञान है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महाद्वीप, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, जल-संधियाँ, वन आदि)
पठार विभाग-उमरिया ज़िला
मानसून अवधि के दौरान यानी जून से सितंबर के बीच होती है। भौगोलिक रूप से, पठार, पहाड़ियों और घाटियों द्वारा दर्शाए गए संरचनात्मक भू-आकृतियाँ जिले के मध्य
पठार विभाग-सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य
अवस्थित है, जहाँ भारत की तीन पर्वतमालाएं- अरावली, विन्ध्याचल और मालवा का पठार आपस में मिल कर ऊंचे सागवान वनों की उत्तर-पश्चिमी सीमा बनाते हैं। आकर्षक जाखम
पठार विभाग-जूनागढ़
रियासत पर शासन किया था। एक प्रारंभिक संरचना, उपरकोट किला, शहर के मध्य में एक पठार पर स्थित है। इसका निर्माण मूल रूप से 319 ईसा पूर्व में मौर्य वंश के दौरान
पठार विभाग-महाराष्ट्र का भूगोल
राहत विभाग हैं। महाराष्ट्र में उल्लेखनीय भौतिक एकरूपता है, जो इसके अंतर्निहित भूविज्ञान द्वारा लागू की गई है। राज्य की प्रमुख भौतिक विशेषता इसका पठारी स्वरूप
पठार विभाग-उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था
में विभाजित है 1- भाबर और तराई, 2- गंगा और यमुना के मैदान, और 3-दक्षिणी पठार। यहाँ पाये जाने वाले महत्वपूर्ण खनिजों में डायस्पोर, सल्फर और मैग्नेसाइट
पठार विभाग-जमशेदपुर
साल लग गए। एक दिन वे सुबर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम के पास, छोटानागपुर पठार के घने जंगलों में स्थित गांव साकची (वर्तमान में एक व्यापारिक जिला) में आए।
पठार विभाग-आबिदजान
गिनी की खाड़ी पर स्थित है। शहर एब्री लैगून पर स्थित है। व्यवसायिक जिला, ले पठार, शहर का केंद्र है, साथ ही कोकोडी, डॉक्स प्लेटॉक्स (शहर के सबसे धनी इलाका
पठार विभाग-पश्चिमी एशिया
है. पश्चिमी एशिया में पहाड़ी इलाकों के बड़े क्षेत्र शामिल हैं। एनाटोलियन पठार तुर्की में पोंटस पर्वत और वृषभ पर्वत के बीच स्थित है। तुर्की में माउंट अरार्ट
पठार विभाग-श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालय त्रिकुटा रेंज की तलहटी में तीन तरफ से पहाड़ों से घिरे एक पठार पर स्थित है। माता वैष्णो देवी का मंदिर स्थित है। यह एक स्व-निहित टाउनशिप
पठार विभाग-अशोक नगर
और बेतवा नदियों के बीच। यह मालवा पठार के उत्तरी भाग के अंतर्गत आता है, हालांकि इस जिले का मुख्य भाग बुंदेलखंड पठार में स्थित है। जिले की पूर्वी और पश्चिमी
पठार विभाग-शिलांग
91.88°E / 25.57; 91.88 पर शिलांग पठार पर स्थित है जो उत्तरी भारतीय ढाल में एकमात्र प्रमुख उत्थान संरचना है। शहर पठार के केंद्र में स्थित है और पहाड़ियों
पठार विभाग-कीनिया
द्विभाजित की जाती है। पश्चिमी पठार प्रदेश एक बड़े बेसिन के आकार में विक्टोरिया झील के सहारे स्थित है और बहुधा भ्रन्शित पठारों वाला है। कीनिया की जलवायु इसकी
पठार विभाग-भारत की जलवायु
प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। इसमें हिमालय पर्वत और इसके उत्तर में तिब्बत के पठार की स्थिति, थार का मरुस्थल और भारत की हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर अवस्थिति
पठार विभाग-इन्दौर
भारत के स्वतन्त्र होने के पूर्व यह यह इन्दौर रियासत की राजधानी था। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी भोपाल से १९० किमी पश्चिम
पठार विभाग-अर्जेण्टीना
है (क्षेत्रफल: ७,७७,००० वर्ग कि.मी.)। यह अर्धशुष्क एवं अल्प जनसंख्यावाला पठारी प्रदेश है। यहाँ विशेष रूप से पशु पालन का कारोबार होता है। नदियां ऐंडीज़
पठार विभाग-चीन प्रशासित लद्दाख का क्षेत्र (अक्साई चिन)
ﺋﺎﻗﺴﺎﻱ ﭼﯩﻦ, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक
पठार विभाग-भारत
पूरा भाग एक विस्तृत पठार है जो दुनिया के सबसे पुराने स्थल खंड का अवशेष है और मुख्यत: कड़ी तथा दानेदार कायांतरित चट्टानों से बना है। पठार तीन ओर पहाड़ी श्रेणियों
पठार विभाग-पालामऊ व्याघ्र आरक्षित वन
पलामू व्याघ्र आरक्षित वन झारखंड के छोटा नागपुर पठार के लातेहार जिला में स्थित है। यह १९७४ में बाघ परियोजना के अंतर्गत गठित प्रथम ९ बाघ आरक्षों में से एक
पठार विभाग-वीर्य स्खलन नलिका
बाहर निकलता है। सामान्य तौर पर, स्खलन के अलग-अलग चरण होते हैं: उत्तेजना। पठार का चरण, एक विभक्ति बिंदु की तरह। ऑरम। चरण महिलाओं और पुरुषों में समान हैं।
पठार विभाग-चीनी जनवादी गणराज्य
चीन की भारत, भूटान और नेपाल के साथ प्राकृतिक सीमा बनाती है। इसके साथ-साथ पठार और निर्जलीय भूदृश्य भी हैं जैसे तकला-मकन और गोबी मरुस्थल। सूखे और अत्यधिक
पठार विभाग-मानचित्र
हैं। भारत के सर्वेक्षण विभाग के मानचित्र इसी प्रकार के होते हैं। इनमें धरातल पर के महत्वपूर्ण प्राकृतिक तथ्य, जैसे पर्वत, पठार, उच्चावचन, नदी, वनस्पति
पठार विभाग-ईरान
क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व में 18वें नम्बर पर आता है। यहाँ का भूतल मुख्यतः पठारी, पहाड़ी और मरुस्थलीय है। वार्षिक वर्षा 25 सेमी होती है। समुद्र तल से तुलना
पठार विभाग-खड़िया आदिवासी
और हो के बाद खड़िया का स्थान है। खड़िया आदिवासियों का निवास मध्य भारत के पठारी भाग में है, जहाँ ऊँची पहाड़ियाँ, घने जंगल और पहाड़ी नदियाँ तथा झरने हैं।
पठार विभाग-बिहार
गंगा में मिलनेवाली सहायक नदियाँ है। बिहार के दक्षिण भाग में छोटानागपुर का पठार, जिसका अधिकांश हिस्सा अब झारखंड है, तथा उत्तर में हिमालय पर्वत की नेपाल श्रेणी
पठार विभाग-मुर्शिद कुली खां
जन्मे, बंगाल के पहले नवाब थे, जिन्होंने 1717 से 1727 तक सेवा की। डेक्कन पठार में एक हिंदू का जन्म c। 1670, मुर्शीद कुली खान को मुगल महान हाजी शफी ने खरीदा
पठार विभाग-जैसलमेर
स्थान भी बदलते रहते हैं। इन्हीं रेतीले टीलों के मध्य कहीं-कहीं पर पथरीले पठार व पहाड़ियाँ भी स्थित हैं। इस संपूर्ण इलाके का ढाल सिंध नदी व कच्छ के रण अर्थात्
पठार विभाग-फ़्लोरिडा
की द्दष्टि से बड़ा है। फ्लोरिडा प्रायद्वीप कार्स्ट चूना पत्थर की एक खुली पठार है, जो आधार-शैल के ऊपर है। पूरे राज्य भर में पानी के नीचे गुफाऐं, सिंकहोल्स
पठार विभाग-वाराणसी
कारण उपत्यका रही है। खास वाराणसी शहर गंगा और वरुणा नदियों के बीच एक ऊंचे पठार पर बसा है। नगर की औसत ऊंचाई समुद्र तट से ८०.७१ मी. है। यहां किसी सहायक नदी
पठार विभाग-ग्वालियर
किला शहर की हर दिशा से दिखाई देता और शहर का प्रमुखतम स्मारक है। एक उँचे पठार पर बने इस किले तक पहुंचने के लिये एक बेहद ऊंची चढाई वाली पतली सडक़ से होकर
पठार विभाग-रायसेन ज़िला
से संबन्धित है एवं इसी से इसका नाम भीमबैठका पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं।;
पठार विभाग-झारखंड के पर्यटन स्थल
नयनाभिराम दृश्यों और स्थलों की रचना की है, जिनमें ख़ूबसूरत झरने, नदी, पहाड़, पठार और वन्य प्रदेश शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर कई मानवनिर्मित पर्यटन भी हैं जैसे
पठार विभाग-दाली शहर
दाली। पुराना दाली मिंग राजवंश काल में बनाया गया था। दाली का इलाका एक उपजाऊ पठार पर स्थित है जिसके पश्चिम में चांगशान शृंखला के पहाड़ स्थित हैं और पूर्व में
पठार विभाग-दिल्ली
बहती हैं। दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक
पठार विभाग-राजस्थान
हैं। माही नदी के तटीय भू-भाग को 'कोयल' तथा अजमेर-मेरवाड़ा के पास वाले कुछ पठारी भाग को 'उपरमाल' की संज्ञा दी गई है। जरगा और रागा के पहाड़ी भाग हमेशा हरे
पठार विभाग-नागोया
बर्फिली खाड़ी के उत्तर में नोबी मैदान पर स्थित है। बाढ़ से बचने लिए शहर को पठारी क्षेत्र पर बसाया गया था। इस क्षेत्र के मैदान देश के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों
पठार विभाग-छत्तीसगढ़ राज्य के पर्यटन स्थल
साँचा:स्त्रोत पर्यटन विभाग कोठली जलप्रपात : कन्हार नदी पर पवई जलप्रपात : पवई नदी पर रक्सगण्डा जलप्रपात : रेड नदी पर सरभंजा जलप्रपात : मांड नदी पर (मैनपाट
पठार विभाग-मध्य प्रदेश का पर्यटन
मध्य प्रदेश भारत के ठीक मध्य में स्थित है। अधिकतर पठारी हिस्से में बसे मध्यप्रदेश में विन्ध्य और सतपुड़ा की पर्वत श्रृखंलाएं इस प्रदेश को रमणीय बनाती
पठार विभाग-कश्मीर
जो 5,000 मीटर (16,000 फीट) तक ऊँचाई तक पहुँचता है। भौगोलिक रूप से तिब्बती पठार का हिस्सा अक्साई चिन को सोडा मैदान के रूप में जाना जाता है। यह क्षेत्र लगभग
पठार विभाग-बेल्जियम
तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र हैं: उत्तर-पश्चिम में तटीय मैदान और केन्द्रीय पठार, दोनों आंग्ल-बेल्जियम बेसिन के हैं; दक्षिण-पूर्व में आर्डेंस उच्चभूमि, हर्सीनियन
पठार विभाग-घृत कुमारी
वाले प्राकृतिक क्षेत्रों में जीवित रहने में सक्षम बनाती है, जिसके चलते यह पठारी और शुष्क क्षेत्रों के किसानों में बहुत लोकप्रिय है। घृत कुमारी हिमपात और
पठार विभाग-नेतरहाट
नहीं होती है |गर्मियों के दिनों में नेतरहाट की जलवायु बहुत ठण्ड रहती है। यह पठार जंगलों से घिरा हुआ है और यहाँ 60 इंच से अधिक वर्षा प्रति वर्ष नहीं होती है।
पठार विभाग-सुभाष चन्द्र बोस
भारत संघ, राष्ट्रीय सलाहकार परिषद, रॉ, खुफिया विभाग, प्रधानमंत्री के निजी सचिव, रक्षा सचिव, गृह विभाग और पश्चिम बंगाल सरकार सहित कई अन्य लोगों को प्रतिवादी
पठार विभाग-मिज़ूरी
विच्छेदित गोल मैदानों में पड़ता है जबकि दक्षिणी भाग ओज़ार्क पर्वतों (विच्छेदित पठार) में पड़ता है जिसे मिसोरी नदी दो भागों में बांटती है। मिसिसिपी और मिसौरी
पठार विभाग-संस्कृति
यमुना, सतलुज की उपजाऊ कृषि भूमि, विन्ध्य और दक्षिण का वनों से आच्छादित पठारी भू-भाग, पश्चिम में थार का रेगिस्तान, दक्षिण का तटीय प्रदेश तथा पूर्व में
पठार विभाग-रावतभाटा
रास्ते में मौजूद झरना राजस्थान के मुख्य झरनो में से एक है। चंबल में कुंड पठार के माध्यम से प्रवाह होता है और राणा प्रताप सागर बांध के डाउन स्ट्रीम में
पठार विभाग-पेरू
शुष्क है। सिएरा (पहाड़ी क्षेत्र) एंडीज का क्षेत्र है; इसमें अल्टीप्लानो पठार के साथ-साथ देश की सबसे ऊंची चोटी, हुआस्करन 6,768 मीटर (22,205 फीट) शामिल
पठार विभाग-अम्बिकापुर
है इस लिये यहां का तापमान गर्मीयों में उच्च रहता है। इस ऋतु में जिले के पठारी इलाकों में गर्मीयां शीतल एवम सुहावनी होती है। इस दौरान सरगुजा जिले के मैनपाट
पठार विभाग-सीरिया
पहले असीरिया भी कहते थे। रोमन साम्राज्य के समय इस सीरियाई क्षेत्रों को कई विभागों में बाँट डाला गया था। जुडया (जिसको सन् 135 में फ़लीस्तीन नाम दिया गया -
पठार विभाग-उत्तर प्रदेश
पर्वत से निकलने वाली नदियाँ गंगा के मैदानी भाग से निकलने वाली नदियाँ दक्षिणी पठार से निकलने वाली नदियाँ हैं बेतवा, केन, चम्बल आदि प्रमुख हैं झील उत्तर प्रदेश
पठार विभाग-चित्तौड़गढ़ दुर्ग
चित्रकूट नाम अंकित मिलता है। बाद में यह चित्तौड़ कहा जाने लगा।यह मेसा के पठार पर स्थित है | सन् ७३८ राजा बप्पा रावल ने राजपूताने पर राज्य करने वाले मौर्यवंश
पठार विभाग-अलबामा
अलाबामा में कई प्रजातियों के वनस्पति और जीव पाए जाते हैं जो उत्तर के एपलाचियन पठार और रिज-एंड-वैली एपलाचियन पर्वतमाला से लेकर मध्य के पीडमोंट और केनब्रेक, तथा
पठार विभाग-ताजमहल
1643 में पुरी हुईं। ताजमहल परिसीमित आगरा नगर के दक्षिण छोर पर एक छोटे भूमि पठार पर बनाया गया था। पूर्व में इस जमीन पर राजपुताना राज्य अंतर्गत जयपूर के महाराजा
पठार विभाग-जैवभूक्षेत्र
से अधिकतर चार या पाँच हजार फुट ऊँचे पठार (plateau) हैं। इसी में बृहत् उष्ण प्रदेशीय जंगल हैं। प्राणिसमूह - इस विभाग में कई विचित्र जानवर मिलते हैं। खुरवाले
पठार विभाग-बिहार का प्राचीन इतिहास
का विस्तार उत्तर में गंगा, पश्चिम में सोन तथा दक्षिण में जगंलाच्छादित पठारी प्रदेश तक था। पटना और गया जिला का क्षेत्र प्राचीनकाल में मगध के नाम से जाना
पठार विभाग-मराठी साहित्य
चरित्र, व्याकरण, कोश, धर्मनीति तत्त्वज्ञान, प्रवासवर्णन, इत्यादि अनेक विभागों में साहित्यनिर्माण होने लगा। अंग्रेजी तथा संस्कृत साहित्य के ललित और शास्त्रीय
पठार विभाग-कर्नाला दुर्ग
करने में सक्षम था। यह दर्रा कोंकण तट को महाराष्ट्र के आंतरिक भाग (दक्कन पठार) से जोड़ने वाला मुख्य व्यापार मार्ग था। दुर्ग का निर्माण संभवतः वर्ष 1400
पठार विभाग-गेटवे ऑफ़ इन्डिया
जिनके पास भारत में 300 से अधिक मूर्तियां हैं। म्हात्रे के परपोते हेमंत पठारे और इतिहासकार, शोधकर्ता और शिक्षाविद् संदीप दहिसरकर ने जॉर्ज पंचम की मूर्ति
पठार विभाग-कर्नाटक/आलेख
लोकसभा सदस्य कर्नाटक का पठार "स्टैटिस्टिकल हैण्दबुक - इकोनॉमिक इंडिकेटर्स फ़ॉर ऑल स्टेट्स". तमिल नाडु सरकार: अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग. तमिल नाडु सरकार. मूल
पठार विभाग-येलोनाइफ़
खो बैठा। 2004 में येलोनाइफ़ का आखिरी खान बंद हो गया। येलोनाइफ़ लॉरेंशियन पठार पर स्थित है, जो आखिरी हिम युग के दौरान ऊँचे पत्थरों में बदल गया था। आस-पास
पठार विभाग-गुवहाटी
कुछ विस्तार मेघालय राज्य में आता है। गुवाहाटी ब्रह्मपुत्र नदी और शिल्लोंग पठार के बीच स्थित है; इसके पूर्व दिशा में नारेंगी नगर है और इसका हवाई-अड्डा, लोकप्रिय
पठार विभाग-मानचित्रकला
का सबसे सरल माध्यम है। भूपृष्ठ पर स्थित प्राकृतिक विवरण, जैसे पहाड़, नदी पठार, मैदान, जंगल आदि और सांस्कृतिक निर्माण, जैसे सड़कें, रेलमार्ग, पुल, कुएँ
पठार विभाग-प्रतापगढ़, राजस्थान
जिले थे। भारतीय उपमहाद्वीप की सर्वाधिक प्राचीन पर्वतमाला अरावली और मालवा के पठार की संधि पर अवस्थित राजस्थान के इस जिले के भूगोल में अरावली और मालवा दोनों
पठार विभाग-भारत गणराज्य का इतिहास
- यह सभी रियासतों में सबसे बड़ी एवं सबसे समृद्धशाली रियासत थी, जो दक्कन पठार के अधिकांश भाग को कवर करती थी। इस रियासत की अधिसंख्यक जनसंख्या हिंदू थी,
पठार विभाग-भारत में 1899–1900 का अकाल
मृत्यु दर अधिक थी। बॉम्बे प्रेसीडेंसी में 4,62,000 लोग मारे गए, और दक्कन पठार में मरने वालों की संख्या 1,66,000 थी। 1876-77 और 1918-19 के बीच बंबई प्रेसीडेंसी
पठार विभाग-भारत सारावली
शामिल हैं। सिन्धु-गंगा के मैदान थार मरुस्थल मध्य पहाड़ी क्षेत्र और दक्कन के पठार पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र पश्चिमी तटीय मैदानी क्षेत्र सीमावर्ती समुद्र और
पठार विभाग-भू-आकृति विज्ञान
नीचे आंशिक रूप से पिघली हुई भूपटल परत को हज़ारों किलोमीटर पर फैले तिब्बती पठार की भू-आकृति को नियंत्रित करने का योगदान दिया गया है। भू-आकृतियों के साथ जीवों
पठार विभाग-ब्रिस्टल हवाई अड्डा
पश्चिम एलईपी ने बाद में "दक्षिण पश्चिम ब्रिस्टल आर्थिक लिंक" के लिए परिवहन विभाग के बड़े स्थानीय प्रमुख परिवहन योजनाओं के लिए अपने आवेदन की घोषणा की - "उत्तर
पठार विभाग-कलक्काड़ मुंडनतुरई टाइगर रिज़र्व
61, पतला लॉरिस 61, विशाल गिलहरी 61, और मगरमच्छ 61। तमिलनाडु के मुंडनथुराई पठार पर ग्रे जंगलफ्लो (गैलस सोनरटैटी) द्वारा निवास स्थान का उपयोग दिसंबर 1987
पठार विभाग-कापसी
में पारगमन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। भौगोलिक दृष्टिकोण से कापसी बस्तर पठार के उत्तरी तराई में बसा हुआ है एवं यह ऐतिहासिक दण्डकारण्य क्षेत्र का भाग है।
पठार विभाग-गिरियुद्ध
जाता है घाटियों पर भी उसी पक्ष का अधिकार रहता है। कई पहाड़ों की चोटियों पर पठार पाए जाते हैं। उनपर सेनाओं को ले जाकर फैलाया जा सकता है। शत्रु का सामना प्राय:
पठार विभाग-नांदेड़ जिले का आदिवासी समाज
को कादर कहते हैं। चंद्रपुर के निकट प्रधानों के दो भाग हैं : गोंड-पठारी और चोर-पठारी। रायपुर क्षेत्र में अन्य जातियों की संतान पैदा करने वाली गोंड महिलाओं
पठार विभाग-तेलंगाना आंदोलन
राज्य में कृष्णा नदी बेसिन का 68.5% और गोदावरी नदी बेसिन का 69% तेलंगाना पठार क्षेत्र में है और बंगाल की खाड़ी में शामिल होने के लिए राज्य के अन्य हिस्सों
पठार विभाग-नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल
नम पर्णपाती वन, दक्षिण पश्चिमी घाट के पर्वतीय वर्षा वन और दक्षिण दक्कनी पठार के शुष्क पर्णपाती वन शामिल हैं। नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व में 3,700 से अधिक
पठार विभाग-जल संसाधन
अन्य जगहों की तरह भारत में भी भूजल का वितरण सर्वत्र समान नहीं है। भारत के पठारी भाग हमेशा से भूजल के मामले में कमजोर रहे हैं। यहाँ भूजल कुछ खास भूगर्भिक
पठार विभाग-बेंगलुरु
और इसके महानगरीय क्षेत्र की जनसंख्या 89 लाख है। दक्षिण भारत में दक्कन के पठार पर 900 मीटर की औसत ऊँचाई पर स्थित यह नगर अपने साल भर के सुहाने मौसम के लिए
पठार विभाग-जहाजवाली नदी (राजस्थान)
छिपकली आदि पायी जाती हैं। कीट-पतंगे बहुत हैं। उत्तर अरावली पहाड़ियों के पठारी क्षेत्र में स्थित सरका वन क्षेत्र का अपना एक अलग ही पारिस्थितिक और जैविक
पठार विभाग-मियामी
दक्षिणी फ्लोरिडा एक उथले समुद्र द्वारा आच्छादित हो गया था। फ्लोरिडा के जलमग्न पठार के किनारे-किनारे चट्टानों की कई समानांतर मेड़ें तैयार हो गयीं थी, जो वर्त्तमान
पठार विभाग-बीड
व्यावसायिक प्रशिक्षण महाविद्यालय और कॉलेज भी शहर में स्थित हैं। बीड दक्कन के पठार पर बिंदूसरा नदी के तट पर है, और गोदावरी नदी की सहायक नदी है। बालाघाट रेंज
पठार विभाग-तारानाकी पर्वत
लिये एक मचान और स्कीफिल्ड के लिए पार्किंग की सुविधा के साथ पूर्वी एग्मोंट पठार यहाँ सबसे ऊंचा है। यह सबलपाइन स्क्रब और अल्पाइन हर्बफील्ड्स के बीच जोड पर
पठार विभाग-आनंद अभ्यंकर
हास्य प्रतिस्पर्धी शो फू बाई फू में भी भाग लिया, जिसमें अभिनेत्री सुप्रिया पठारे के साथ जोड़ी बनाई गई थी। दिसंबर २०१२ में उनकी मृत्यु से पहले, अभ्यंकर को
पठार विभाग-भारत में इस्लाम
विचारधाराओं द्वारा प्रदर्शित होता है: मुसलमानों का अधिकांश हिस्सा ईरानी पठार या अरब प्रवासियों का वंशज नहीं हैं। व्यवहारिकता और संरक्षण जैसे गैर धार्मिक
पठार विभाग-हूवर बांध
पशुओं-जैसे छिपकलियों, नागों, पक्षियों-और पश्चिमी परिदृश्य के सीढ़ी वाले पठारों, पर आधारित हैं. इस विशाल बांध के वॉकवेज़ और अंदरूनी हॉल में एकत्रित कलाकृतियों
पठार विभाग-वनोन्मूलन
उपकरणों के उपयोग के माध्यम से अपरदन की दर में वृद्धि करते हैं। चीन का लोएस पठार (Loess Plateau) सहस्राब्दियों पहले साफ़ कर दिया गया। तब से इसमें अपरदन हो
पठार विभाग-जन्तुभूगोल
से अधिकतर चार या पाँच हजार फुट ऊँचे पठार (plateau) हैं। इसी में बृहत् उष्ण प्रदेशीय जंगल हैं। प्राणिसमूह - इस विभाग में कई विचित्र जानवर मिलते हैं। खुरवाले
पठार विभाग-बुंदेलखंड का आर्थिक और औद्योगिक विकास
नलकूपों का निर्माण भी संभव है। भू भौतिकी सर्वेक्षण इसमें सहायक हो सकती हैं। पठारी क्षेत्र भी बुन्देलखण्ड में प्राप्त है। चित्रकूट क्षेत्र के इसी शैल समूह
पठार विभाग-जन्तुओं का विस्तार
नमी का प्रभाव जंतुविस्तार पर पड़ता है। हिमालय की भाँति उत्तरी अमरीका का पठार भी ऐसी सीमा बनाता है, जिसके इधर उधर के जानवर एक दूसरे से भिन्न हैं। पृथ्वी
पठार विभाग-भारत में खनन
एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (नालको) और विभिन्न राज्यों के खनन और भूविज्ञान विभाग शामिल है। । तकनीकी आर्थिक नीति विकल्प केंद्र (C-गति) खनिज मंत्रालय के एक
पठार विभाग-नीलगिरी (यूकलिप्टस)
बर्दाश्त करती हैं। अन्य अनेक प्रजातियां, विशेषकर मध्य तस्मानिया के ऊंचे पठार और पहाड़ों की [[नीलगिरी कोक्सीफेरा|नीलगिरी कोक्सीफेरा ]], [[नीलगिरी सबक्रेनुलता|नीलगिरी
पठार विभाग-क्लिंट ईस्टवुड
जेल भेजता है। इसके बाद निर्माण कार्य, स्पेन के उत्तर में बर्गोस के पास पठारी क्षेत्र में स्थानांतरित हुआ, जो अमेरिका के अति गहरे दक्षिण का स्थानापन्न
पठार विभाग-कोंकणी लोग
१७०० से १४५० ईसा पूर्व के बीच हुई । इस दूसरी लहर के प्रवास के साथ दक्कन के पठार से द्रविड़ लोग भी आए थे। कुशा या हड़प्पा के लोगों की एक लहर संभवतः १६०० ईसा
पठार विभाग-संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी मूल-निवासी
अथाबास्कन, कोस्ट मिवोक, युरोक, पैलाइह्निहन, चुमाशन, यूटो-एज़्टेकन पठारी कबीले: आंतरिक सैलिश, पठारी पेनुशियन महान नदी-घाटी में स्थित कबीले: यूटो-एज़्टेकन उत्तर
पठार विभाग-ओडिशा
रथयात्रा के लिए सुप्रसिद्ध है। ओड़िशा का उत्तरी व पश्चिमी अंश छोटानागपुर पठार के अंतर्गत आता है। तटवर्ती इलाका जो की बंगाल की खाडी से सटा है महानदी, ब्राह्मणी
पठार विभाग-रोशडेल पायनियर्स
सीमावर्ती प्रांत स्का॓टलेंड से एक पठार-शृंखला आरंभ होती है, जो पूरे देश को बीचों-बीच दो हिस्सों में बांट देती है। इस सुदीर्घ पठार-शृंखला का नाम है— पेनी (Pennines)
पठार विभाग-नर्मदा नदी
जीवनरेखा" भी कहा जाता है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले के अमरकंटक पठार में उत्पन्न होती है। फिर 1,312 किमी (815.2 मील) पश्चिम की ओर बहकर यह भरूच