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के शहरों पठार-मध्य:
पठार-मध्य
पठार-मध्य-मंगोलिया का पठार
मंगोलिया का पठार मध्य एशिया में स्थित एक विशाल पठार इलाक़ा है जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग २६ लाख वर्ग किलोमीटर है। आधुनिक युग में यह उत्तर में मंगोलिया और
पठार-मध्य-भांडेर पठार
भांडेर पठार भारत में मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक पठार है। इसका क्षेत्रफल 10,000 वर्ग किमी है। इसके दक्षिण में दक्खिन पठार है और पूर्व में छोटा नागपुर
पठार-मध्य-तिब्बत का पठार
तिब्बत का पठार (तिब्बती: བོད་ས་མཐོ།, बोड सा म्थो) मध्य एशिया में स्थित एक ऊँचाई वाला विशाल पठार है। यह दक्षिण में हिमालय पर्वत शृंखला से लेकर उत्तर में
पठार-मध्य-मेसेटा का पठार
में, स्थित एक पठार है। स्पेन की राजधानी मैड्रिड इसी पठार के मध्य भाग में स्थित है। यह पठार लगभग 2,20,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल विस्तार वाला और 2100 मीटर
पठार-मध्य-छोटा नागपुर पठार
छोटा नागपुर पठार पूर्वी भारत में स्थित एक पठार है। झारखंड राज्य का अधिकतर हिस्सा एवं पश्चिम बंगाल, बिहार व छत्तीसगढ़ के कुछ भाग इस पठार में आते हैं।
पठार-मध्य-दक्कन का पठार
का पठार जिसे विशाल प्रायद्वीपीय पठार के नाम से भी जाना जाता है, भारत का विशालतम पठार है। दक्षिण भारत का मुख्य भू भाग इस ही पठार पर स्थित है। यह पठार त्रिभुजाकार
पठार-मध्य-ब्राज़ील का पठार
ब्राजील के हाइलैंड्स या ब्राजील के पठार एक व्यापक भौगोलिक क्षेत्र हैं, जो ब्राजील के अधिकांश पूर्वी, दक्षिणी और मध्य भाग पर स्थित है। प्राचीन बेसाल्टिक
पठार-मध्य-खोरात पठार
पहाड़ियाँ तथा दक्षिणपश्चिम में दांग्रेक पहाड़ियाँ पठार को मध्य थाईलैण्ड से अलग करती हैं। इन सब बाधाओं के कारण पठार अन्य क्षेत्रों से अलग रहा है और यहाँ एक स्थानीय
पठार-मध्य-बिजावर-पन्ना पठार
बिजावर-पन्ना पठार में भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में छतरपुर और पन्ना जिलों के कुछ हिस्से आते हैं। यह बुन्देलखण्ड पठार का हिस्सा है। यह 25-30 किमी चौड़ा है
पठार-मध्य-मध्य साइबेरियाई पठार
मध्य साइबेरियाई पठार (रूस: Среднесиби́рское плоского́рье, स्रेदनेसिबिर्स्कोय प्लोस्कोगोर्ये; अंग्रेज़ी: Central Siberian Plateau) उत्तर एशिया के साइबेरिया
पठार-मध्य-मालवा का पठार
मालवा का पठार विंध्य पहाड़ियों के आधार पर त्रिभुजाकार पठार है। यह एक लावा पठार है |इसके पूर्व में बुदेंलखंड और उत्तर पश्चिम में अरावली पहाड़ियाँ स्थित
पठार-मध्य-ईरान का पठार
ईरान का पठार पश्चिमी एशिया और मध्य एशिया का एक भौगोलिक क्षेत्र है। यह पठार अरबी प्लेट और भारतीय प्लेट के बीच में स्थित यूरेशियाई प्लेट के एक कोने पर स्थित
पठार-मध्य-यूनान का पठार
युनान का पठार या इण्डोचाइना पठार का एक प्रमुख पठार हैं। प्राचीन कठोर चट्टानों से निर्मित है, इस के मध्य भाग में चूना पत्थर की उपस्थिति है। यहां पर साल्विन
पठार-मध्य-मध्य भारत (पूर्व राज्य)
थे। मध्य भारत राज्य मध्य भारत पठार (वर्तमान में उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश राज्य और मध्य राजस्थान के अधिकांश भाग में स्थित है) में स्थित था। यह पठार उत्तर
पठार-मध्य-रीवा पठार
रीवा पठार भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में रीवा जिले के एक हिस्से को कवर करता है । इस पठार के दक्षिण में कैमूर पहाड़ियाँ और उत्तर में विंध्य पर्वत शृंखला
पठार-मध्य-आर्मीनिया का पठार
आर्मीनिया का पठार (Armenian Plateau) या आर्मीनियाई ऊँचाईयाँ (Armenian Highlands) मध्य पूर्व का एक ऊँचा पठारी इलाक़ा है। यह मध्य पूर्व के बाक़ी दो पठारों - आनातोलिया
पठार-मध्य-नोंग बुआ लम फू प्रान्त
का एक प्रान्त है। यह देश के पूर्वोत्तरी भाग (ईसान क्षेत्र) में खोरात पठार के मध्य पर स्थित है। थाईलैण्ड के प्रान्त ईसान "Moon Living Abroad in Thailand[मृत
पठार-मध्य-पूतोराना पठार
पुतोराना पहाड़ रूस के साइबेरिया क्षेत्र में स्थित एक ऊँचा पठार है। यह मध्य साइबेरियाई पठार के पश्चिमोत्तरी छोर पर तायमयिर प्रायद्वीप से दक्षिण में स्थित एक
पठार-मध्य-लोएस पठार
पठार (Loess Plateau, लोएस प्लैटो) या हुआंगतु पठार (黃土高原, हुआंगतु गाओयेन) चीन की पीली नदी के ऊपरी और मध्य भागों में ६,४०,००० किमी२ पर विस्तृत एक पठार है।
पठार-मध्य-हाड़ौती का पठार
हाड़ौती का पठार या दक्षिण-पूर्वी पठार के नाम से जाना जाता है। राजस्थान का दक्षिण-पूर्वी पठार हाड़ौती के नाम से विख्यात है। हाड़ौती का पठार राजस्थान के
पठार-मध्य-मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी आधिकारिक राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश 2 नवंबर 2000 तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन मध्यप्रदेश
पठार-मध्य-उत्तर कोयल नदी
के झारखण्ड राज्य में बहने वाली एक नदी है। इस नदी का उद्गम स्थल रांची पठार का मध्य भाग (गुमला जिले के एक छोटे से गांव कुटुवा से) है। इसके बाद उत्तरी कोयल
पठार-मध्य-मालवा
प्रदेश के अंतर्गत संपूर्ण पश्चिमी मध्य प्रदेश का विस्तृत भू-भाग आता है, जो दक्षिण में विंध्य श्रेणी, पूर्व में सागर-दमाई पठार और बुंदेलखण्ड, उत्तर में गुना-शिवपुरी
पठार-मध्य-आल्टिप्लानो
= ऊँचा मैदान) पश्चिमी-मध्य दक्षिण अमेरिका में स्थित एक पठार है। यह वह स्थान है जहाँ एण्डीज सबसे चौडा है। तिब्बत के बाद यह विश्व का सबसे बड़ा पठार है।
पठार-मध्य-विदिशा ज़िला
विदिशा ज़िला भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय विदिशा है।. विदिशा विंध्याचल पठार पर मुख्य विंध्याचल पर्वतमाला में स्थित है,
पठार-मध्य-अफ़्रीका की भू-प्रकृति
अफ्रीका ऊँचे पठारों का महाद्वीप है, इसका निर्माण अत्यन्त प्राचीन एवं कठोर चट्टानों से हुआ है। इस लावा निर्मित पठार को ढाल (शील्ड) कहते हैं। जर्मनी के
पठार-मध्य-मेघालय का भूगोल
नैसर्गिक जल प्रपात निर्मित हुए हैं। पठार क्षेत्र की ऊंचाई 150 मी॰ (490 फीट) से 1,961 मी॰ (6,434 फीट) के बीच है। पठार के मध्य भाग में खासी पर्वतमाला के भाग हैं
पठार-मध्य-अफ़्रीका का भूगोल
अफ्रीका ऊंचे पठारों का महाद्वीप है, इसका निर्माण अत्यन्त प्राचीन एवं कठोर चट्टानों से हुआ है। इस लावा निर्मित पठार को शील्ड कहते हैं। अफ्रीका महादेश का
पठार-मध्य-छिंदवाड़ा
छिंदवाडा़ भारत के मध्य प्रदेश प्रांत में स्थित एक प्रमुख शहर है। छिंदवाड़ा नगर, दक्षिण-मध्य मध्य प्रदेश राज्य, मध्य भारत, कुलबेहरा की धारा बोदरी के तट
पठार-मध्य-राजगढ़, मध्य प्रदेश
1645 में दिव नाजब सिंह ने भील प्रमुख से यह क्षेत्र छीन लिया । जिला मालवा पठार के उत्तरी किनारे पर स्थित है, और पार्वती नदी जिले की पूर्वी सीमा बनाती है
पठार-मध्य-मध्य पूर्व
पर मध्य एशिया का अधिकांश फारसी साम्राज्य का हिस्सा था। दक्षिणपूर्वी यूरोप और मध्य पूर्व के बीच की सीमा भी अस्पष्ट है। कई लेखकों ने तुर्की को "मध्य पूर्व"
पठार-मध्य-आसनसोल
स्थित एक शहर है। यह कोलकाता के बाद राज्य का सबसे बड़ा शहर है। छोटानागपुर पठार के मध्य में राज्य की झारखण्ड से सटी पश्चिमी सीमा पर स्थित यह नगर खनिज पदार्थों
पठार-मध्य-पठारी, विदिशा
पठारी (Pathari) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा ज़िले में स्थित एक गाँव है। विदिशा ज़िला "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03
पठार-मध्य-मध्य प्रदेश का पर्यटन
मध्य प्रदेश भारत के ठीक मध्य में स्थित है। अधिकतर पठारी हिस्से में बसे मध्यप्रदेश में विन्ध्य और सतपुड़ा की पर्वत श्रृखंलाएं इस प्रदेश को रमणीय बनाती
पठार-मध्य-हिमालय वृक
chanco) है, वृक (भेड़िए) की एक जीववैज्ञानिक उपजाति है जो हिमालय, तिब्बत पठार और मध्य एशिया की उच्चभूमि में मिलती है। वृक (भेड़िया) (2019) Old World Canis
पठार-मध्य-तिब्बत
मिनट पूर्वी देशान्तर (लॉन्गीट्यूड)। तिब्बत मध्य एशिया की उच्च पर्वत श्रेंणियों के मध्य कुनलुन एवं हिमालय के मध्य स्थित है। इसकी ऊँचाई १६,००० फुट तक है। यहाँ
पठार-मध्य-इंग्लैण्ड
ऊँचा है। यह पठार इंग्लैंड के उत्तरी भाग के मध्य में रीढ़ की भाँति उत्तर से दक्षिण 150 मील लंबाई तथा 50 मील की चौड़ाई में फैला हुआ है। यह पठारी क्रम कार्बनप्रद
पठार-मध्य-मध्य एशिया में इस्लाम
मध्य एशिया में इस्लाम इस्लामी इतिहास की शुरुआत के बाद से अस्तित्व में है। मध्य एशिया में इस्लाम सबसे व्यापक रूप से प्रचलित धर्म है। सननिज्म के विचार के
पठार-मध्य-कैंडी
प्रमुख शहर है जो कि इसके मध्य प्रांत में स्थित है। यह श्रीलंका के प्राचीन राजाओं के युग की अंतिम राजधानी थी। कैंडी शहर, कैंडी पठार की पहाड़ियों के बीच में
पठार-मध्य-हड़ौती
पूर्वी राजस्थान का क्षेत्र पूर्व में मालवा पठार, पश्चिम में अरावली पर्वतमाला और पश्चिम में मारवाड़ पठार, मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। प्रमुख नदी चंबल
पठार-मध्य-विन्ध्याचल पर्वत शृंखला
में यह पर्वतमाला पश्चिम में गुजरात, उत्तर में उत्तर प्रदेश व बिहार, मध्य में मध्य प्रदेश और पूर्व में छत्तीसगढ़ तक विस्तारित है। अमरकोश में प्राप्त एक
पठार-मध्य-पठारी रियासत
नवाब सुल्तान मोहमद खान के मध्य बांटा गया था जिसका बाद में पठारी रियासत नाम पड़ा। भारत की स्वतंत्रता के बाद 15 जून 1948 को पठारी नवाब अब्दुल रहिम खान ने
पठार-मध्य-अफ़्रीका
है। इस पठार के मध्य भाग में अहगर एवं टिबेस्टी के उच्च भाग हैं जबकि पूर्वी भाग में कैमरून, निम्बा एवं फूटा जालौन के उच्च भाग हैं। कैमरून के पठार पर स्थित
पठार-मध्य-बेतवा नदी
वेत्रवती (Vetravati) था, भारत के मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में बहने वाली एक नदी है। यह यमुना नदी की उपनदी है। यह मध्य प्रदेश में रायसेन ज़िले के कुम्हारागाँव
पठार-मध्य-शान्शी
केन्द्रीय भाग में स्थित एक प्रांत हैं। यह पीली नदी (ह्वांग हो) के मध्य भाग में आने वाले लोएस पठार और चिनलिंग पहाड़ों पर विस्तृत है। शान्शी की राजधानी शिआन शहर
पठार-मध्य-सहरिया
सहरिया भारत की एक प्रमुख जनजाति है। ये जनजाति मध्य प्रदेश के मध्य भारत के पठार में निवास करती है। ग्वालियर-चम्बल संभाग के ज़िलों जैसे श्योपुर, शिवपुरी
पठार-मध्य-इबेरिया प्रायद्वीप
छोटा-सा देश जो फ़्रान्स और स्पेन के मध्य स्थित है। जिब्राल्टर, एक ब्रिटिश पारसमुद्री राज्यक्षेत्र। यह पठार यूरोप के सबसे प्राचीन पठारों में से एक है।
पठार-मध्य-अल्ताई पर्वत शृंखला
पर्वत शृंखला मध्य एशिया की एक बड़ी पर्वत शृंखला है जो उस क्षेत्र से गुज़रती है जहाँ रूस, चीन, कज़ाख़िस्तान और मंगोलिया मिलते हैं। मध्य एशिया की दो महत्वपूर्ण
पठार-मध्य-म्यान्मार
मध्य की आराकन पट्टी भी शामिल है। 2. पूर्व का शान उच्च प्रदेश - यह लगभग 3,000 फुट तक ऊँचा एक पठार है जो दक्षिण में टेनैसरिम योमा तक फैला है। 3. मध्य म्यान्मार
पठार-मध्य-भारत का भूगोल
टकराई। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मध्य स्थित टेथीज भूसन्नति के अवसादों के वालन द्वारा ऊपर उठने से तिब्बत पठार और हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। सामने
पठार-मध्य-शहडोल ज़िला
पूर्व देशांतर से 82 डिग्री 12’ पूर्वी देशांतर में स्थित हैं। जिला डक्कन पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में आता है। शहडोल जिले के निकट डिंडौरी, जबलपुर, सतना
पठार-मध्य-दक्षिण अमेरिका
जिनके मध्य बोलविया एवं पेरू के पठार तथा विशाल मीठे जल की झील टिटिकाका है। इस महाद्वीप में मुख्य तीन पठारी भाग है, गायना का पठार, ब्राज़ील का पठार एवं पेटागोनिया
पठार-मध्य-राजगढ़ ज़िला
आता है। राजगढ़ जिला मालवा पठार के उत्तरी छोर पर पार्वती नदी के पश्चिमी तट पश्चिमी तट पर स्थित है। राजगढ़ मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश के जिले "Inde du Nord:
पठार-मध्य-राजस्थान का भूगोल
(b) मध्य अरावली (c) दक्षिणी अरावली 3. पूर्वी मैदानी प्रदेश (a) बाणगंगा बेसिन (b) चम्बल बेसिन (c) बनास बेसिन (d) माही बेसिन 4. दक्षिणी -पूर्वी पठारी क्षेत्र
पठार-मध्य-विदिशा
विदिशा (Vidisha) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। विदिशा मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर-पूर्व
पठार-मध्य-कैमरुन
भूगोलिक स्थिति के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम में तटीय मैदान, केंद्र में विच्छेदित पठार, पश्चिम में पहाड़, उत्तर में मैदानी इलाका पाया जाता है. Not Bablu Don. लुआ
पठार-मध्य-स्कॉट्लैण्ड
प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं - उत्तरी पहाड़ी भाग। दक्षिणी पठारी भाग। मध्य की घाटी। क्रिस्टली चट्टानों से निर्मित यह पहाड़ी भाग दो बड़े निचले
पठार-मध्य-सतपुड़ा पर्वतमाला
में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत: ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट
पठार-मध्य-भारत के प्राकृतिक प्रदेश
तिब्बती पठार उत्तरी पश्चिमी शुष्क पहाड़ियां बलूचिस्तान का पठार (ब) उत्तरी मैदान निचली सिन्धु घाटी पंजाब का मैदान गंगा का उपरी मैदान गंगा का मध्य मैदान गंगा
पठार-मध्य-तुर्की
मारमारा सागरों के तट पर अपेक्षाकृत कम ऊँची पहाड़ियाँ मिलती हैं, जिससे मध्य के पठार तक आवागमन सुगम हो जाता है। उत्तर से दक्षिण की ओर आने पर काला सागर के
पठार-मध्य-विदिशा की जलवायु
विदिशा मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पूर्व हिस्से में अवस्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण
पठार-मध्य-लाओस
में ज़ियांगखॉंग पठार और दक्षिणी छोर पर बोलावेन पठार स्थित है। लाओस को तीन भौगोलिक क्षेत्रों से मिलकर बना माना जा सकता है: उत्तर, मध्य और दक्षिण। 1993
पठार-मध्य-सीतांग नदी
सीतांग नदी दक्षिण मध्य बर्मा में प्रवाहित होने वाली एक नदी है। बागो योमा पर्वत श्रृंखला इस नदी को ऎयारवाडी नदी से अलग करता है। यह नदी शान पठार के छोर से शुरु
पठार-मध्य-पामीर पर्वतमाला
(अंग्रेजी: Pamir Mountains, फ़ारसी: رشته کوه های پامیر), मध्य एशिया में स्थित एक प्रमुख पठार एवं पर्वत शृंखला है, जिसकी रचना हिमालय, तियन शान, काराकोरम
पठार-मध्य-दण्डक वन
क्रमश: उत्तर से दक्षिण-पश्चिम की तरफ़ है। दंडकारण्य में व्यापक वनाच्छादित पठार एवं पहाड़ियाँ हैं, जो पूर्व दिशा से अचानक उभरती हैं तथा पश्चिम की ओर धीरे-धीरे
पठार-मध्य-राजपुताना
जिसमें उत्तर भारत के मैदान और प्रायद्वीपीय भारत के मुख्य पठार के मध्य स्थित पहाड़ी और पठारी क्षेत्र सम्मिलित हैं। राज्य/क्षेत्र/प्रदेश में 23 राज्य, एक
पठार-मध्य-सोनभद्र जिला
पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इसकी सहायक नदी रिहन्द जो छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के पठार से निकलती है सोन में जिले के केन्द्र में मिल जाती है। रिहन्द नदी
पठार-मध्य-बालाघाट ज़िला
जिले को केवल दो तहसील, उत्तर में बैहर तहसील में विभाजित किया गया था, जिसमें पठार क्षेत्र और दक्षिण में बालाघाट तहसील शामिल था, जिसमें दक्षिण में अधिक स्थिर
पठार-मध्य-नर्मदा नदी
प्रदेश और गुजरात की जीवनरेखा" भी कहा जाता है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले के अमरकंटक पठार में उत्पन्न होती है। फिर 1,312 किमी (815.2 मील) पश्चिम
पठार-मध्य-ईसान
उस विधि के अनुसार यह देश का सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसका अधिकांश भाग खोरात पठार पर स्थित है। उत्तर और पूर्व में मीकांग नदी इसे लाओस देश से अलग करती है जबकि
पठार-मध्य-कृषि का इतिहास
होती। यथा - अफ्रीका और अरब के रेगिस्तान, तिब्बत एवं मंगोलिया के ऊँचे पठार तथा मध्य आस्ट्रेलिया। कांगो के बौने और अंदमान के बनवासी खेती नहीं करते। ( Aryan
पठार-मध्य-कूनो नदी
उत्पत्ति शिवपुरी ज़िले के पठार में होती है और यह शिवपुरी, गुना, श्योपुर और मुरैना ज़िलो से गुज़रती है। चम्बल नदी में इसका विलय मध्य प्रदेश व राजस्थान की सीमा
पठार-मध्य-सिचुआन
इसमें मिर्च के प्रयोग पर अधिक ज़ोर दिया जाता है। इस प्रदेश का मध्य भाग लाल बेसिन का पठार कहलाता है। यह प्राय: चारों ओर से पहाड़ों द्वारा घिरा हुआ है। इस
पठार-मध्य-काली मिट्टी
फूटने से निर्मित हुई मिट्टी है। – दक्कन पठार के अलावा काली मिट्टी मालवा पठार की भी विशेषता है अर्थात मालवा पठार पर भी काली मिट्टी पाई जाती है। – काली मिट्टी
पठार-मध्य-मध्य प्रदेश का इतिहास
क्षत्रियों का सफल शासन रहा, जिनका परिचय आज भी मध्य भारत में मिलता है। भीमबैठिका की गुफाएं वर्तमान के मध्य प्रदेश में पिलेओलिथिक बस्तियों के प्रमाण प्रस्तुत
पठार-मध्य-यूराल पर्वत
लुप्त हो जाती है। ६४ अंश उत्तरी अक्षांश से ४१ अंश उत्तरी अक्षांश के मध्य एक पठारी क्षेत्र है, जहाँ जल विभाजक उत्तर-पश्चिमी दिशा में फैला है। यहाँ विस्तृत
पठार-मध्य-पचमढ़ी
पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व में आता है और मध्य प्रदेश का उच्चतम बिंदु, 1352 मीटर ऊँचा धूपगढ़, यहीं स्थित है। यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 190 किलोमीटर
पठार-मध्य-सतना ज़िला
बांधवगढ़ तहसील और शहडोल जिले की ब्यौहारी तहसील से लगी हुई है। सतना जिला विंध्य पठार के लगभग १०,००० से ११,००० फीट की ऊचाई पर स्थित है। जिले का दक्षिणी भाग नागोद
पठार-मध्य-अशोक नगर
सड़क और रेलवे द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। यह नगर चन्देरी सिल्क साड़ियों के लिये भी जाना जाता है। अशोकनगर मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग
पठार-मध्य-महान घाट, दक्षिणी अफ़्रीका
दक्षिण अफ़्रीकी पठार के अधिकांश भाग को घेरने वाला एक पहाड़ी घाट है। जिस तरह से भारत के पश्चिमी घाट भारत के दक्षिण-मध्य में स्थित दक्खन पठार के पश्चिमी छोर
पठार-मध्य-तुर्कमेनिस्तान
से मिलकर बना है। तुर्कमेनिस्तान का धरातल बहुत ही विषम है। यहाँ पर पर्वत, पठार, मरूस्थल एवं मैदान सभी मिलते हैं परन्तु समुद्र से दूर होने के कारण यहाँ की
पठार-मध्य-गयाना शील्ड
सब-एंडियन ट्रफ़ के मोटे नियोजीन तलछट द्वारा पठार को पूर्वी एंडीज़ से अलग किया जाता है। गुयाना हाइलैंड्स के उत्तर-मध्य भाग में रोराइमा सुपरग्रुप और क्वासी-रोराइमा
पठार-मध्य-सरदारपुर
सरदारपुर (Sardarpur) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के धार ज़िले में स्थित एक नगर है। यह मालवा के पठार पर मही नदी के किनारे स्थित है। सरदारपुर में प्राचीन शिवलिंग
पठार-मध्य-बीदर
दक्षिण में गुलबर्गा तथा पूर्व में मेदक जिले स्थित हैं। इसके मध्य में २,३५० फुट ऊँचा पठार है। यहाँ का जलवायु शुष्क तथा स्वास्थ्यप्रद है। वर्षा का वार्षिक
पठार-मध्य-नई दिल्ली-चेन्नई मुख्य रेलमार्ग
मार्ग है जो भारत के दक्षिणी भाग पूर्वी तटीय मैदानों, पूर्वी घाटों, दक्कन के पठार और यमुना घाटी से होते हुए, चेन्नई और दिल्ली को जोड़ती है। यह 2,182 किलोमीटर
पठार-मध्य-विदिशा की वन संपदा
अक्षांश तथा ७७"५१' देशान्तर पर देश के मध्य भाग में स्थित है। समुद्रतल से इसकी ऊँचाई १५४६ फीट है। विदिशा मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पुरब हिस्से में
पठार-मध्य-कुनलुन पर्वत
की सब से लम्बी पर्वतमालाओं में से एक गिनी जाती है। कुनलुन पर्वत तिब्बत के पठार के उत्तर में स्थित हैं और उसके और तारिम द्रोणी के बीच एक दीवार बनकर खड़े
पठार-मध्य-लेना नदी
फलस्वरूप जल मैदानों में फैल जाता है, जिससे दलदल बन जाते हैं। लेना नदी मध्य साइबेरियाई पठार से दक्षिण में १,६४० मीटर की ऊँचाई पर बायकाल पर्वतों में शुरू होती
पठार-मध्य-भुसावल
ज़िले में स्थित एक नगर है। यह सतपुड़ा पर्वतश्रेणी और दक्कन पठार की अजंता पहाड़ियों के मध्य ताप्ती नदी के तट पर स्थित है। मुंबई (भूतपूर्व बंबई)-कोलकाता
पठार-मध्य-गुफ़ा चित्र
चरित्र भीम से संबन्धित है एवं इसी से इसका नाम भीमबैठका पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर
पठार-मध्य-अफ़्रीका की जल अपवाह प्रणाली
अफ़्रीका की अधिकांश नदीयाँ मध्य अफ़्रीका के उच्च पठारी भांग से निकलती हैं यहाँ खूब वर्षा होती है। अफ़्रीका के उच्च पठार इस महाद्वीप में जल विभाजक का कार्य
पठार-मध्य-टेक्सस
वेस्टर्न प्लेन्स - इसमें उत्तरी मध्य टेक्सैस आता है, जिसके अंतर्गत ब्लैक लैंड, ग्रैंड प्रेयरी (Prairier) तथा पश्चिमी मध्य टेक्सैस के लहरदार मैदान हैं। 3
पठार-मध्य-मान्गीस्तऊ प्रांत
बंदरगाह है। इस राज्य में रेगिस्तान, पहाड़, पठार और कैस्पियन के साथ लगा मैदानी इलाक़ा सभी शामिल हैं। उस्त-उर्त पठार पर स्थित राज्य के उत्तरी भाग में सर्दियों
पठार-मध्य-हिमालय
भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियां- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से
पठार-मध्य-क्वान्दो नदी
क्वांदो (Kwando) दक्षिणी मध्य अफ्रीका में जैबेंजी नदी की मुख्य सहायक नदी, जिसे 'लिन्यांती' भी कहते हैं। एंगोला के मध्य पठार से निकलकर दक्षिणपूर्व बहती
पठार-मध्य-ईरान का भूगोल
के केंद्र में कई बंद बेसिन हैं जिन्हें सामूहिक रूप से मध्य पठार के रूप में जाना जाता है। इस पठार की समुद्र तट से औसत ऊँचाई लगभग 900 मीटर (2,953 फीट) है
पठार-मध्य-स्कैण्डिनेवियाई देश
स्कैंडिनेविया लगभग 55°N से 71°N अक्षांश और 5°E से 31°E देशान्तर के मध्य स्थित एक प्राचीन पठार है। इसमें नार्वे तथा स्वीडेन सम्मिलित हैं। इसकी ढाल सामान्यत:
पठार-मध्य-ऐक्विटेन
होता हुआ मध्य पठार हो गया है। यह प्रदेश भूमध्यसागर तटीय प्रदेश के कारकार्सो के सँकरे द्वार द्वारा मिला हुआ है, जो मध्य पठार तथा पिरेनीज़ के मध्य में स्थित
पठार-मध्य-भीमबेटका शैलाश्रय
एवं इसी से इसका नाम भीमबैठका (कालांतर में भीमबेटका) पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर
पठार-मध्य-मोहम्मदगढ़ रियासत
मोहम्मदगढ़ रियासत, मध्य भारत में ब्रिटिश राज के दौरान भोपाल एजेंसी के अधीन एक पूर्व रियासत थी, इसे 'मुहम्मदगढ़' भी कहा जाता है। यह मालवा पठार में स्थित था।
पठार-मध्य-ताप्ती नदी
नदी मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल ज़िले के मुल्ताई से उत्पन्न होकर सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं
पठार-मध्य-बीना
केवल बीना (Bina) भी कहा जाता है, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के बीना-इटावा में स्थित एक नगर है। यह पश्चिम मध्य रेलवे का एक प्रमुख रेलवे जंक्शन, तहसील,ज़िला
पठार-मध्य-भागभद्र
के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पूर्व हिस्से में अवस्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से
पठार-मध्य-रियाद
अल यमामा जैसे ऐतिहासिक क्षेत्रों से भी है। यह अरब प्रायद्वीप के एक बड़े पठार पर स्थित है और इसकी जनसंख्या लगभग ६० लाख है। शहर को नगर निगम के 15 जिलों
पठार-मध्य-झ़ंगझ़ुंग
विस्तार पश्चिमोत्तर में मध्य एशिया के सरमती क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम में पंजाब के जलंधर क्षेत्र से लेकर पूर्व में लगभग पूरे तिब्बत के पठार पर और दक्षिण में आधुनिक
पठार-मध्य-हज़ारीबाग राष्ट्रीय उद्यान
इस पार्क में जंगली भालू, स्लोथ भालू, हिरण और हाथी देखे जा सकते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान छोटानागपुर के पठार पर स्थित है यह पार्क जंगलों से आच्छादित है।
पठार-मध्य-ब्राज़ील
अक्षांश एवँ ३५० पश्चिमी देशान्तर से ७४० पश्चिमी देशान्तरों के मध्य विस्तृत है। दक्षिण अमरीका के मध्य से लेकर अटलांटिक महासागर तक फैले हुए इस संघीय गणराज्य की
पठार-मध्य-कुनू नदी
यह नदी शिवपुरी के पठार से निकलती है इसकी लम्बाई 180 किलोमीटर हैँ यह नदी सकरी घाटी में प्रवाहित होती हैँ। आखिर मे यह नदी मुरैना के पठार को पारकर चम्बल नदी
पठार-मध्य-बांदा जिला, उत्तर प्रदेश
81.34°E / 25.55; 81.34 निर्देशांकों के मध्य स्थित हैं। ज़िलें में बाघिन, केन तथा यमुना मुख्य नदियाँ हैं। पठारी भूमि होने के कारण भूमि काफी उबड़ खाबड़
पठार-मध्य-कातांगा प्रान्त
राजधानी है। कातांगा का एक बड़ा भूभाग पठारी है जहाँ से मांगों नदी निकलकर पश्चिम में अंधमहासागर में गिरती है। इस पठार की औसत ऊँचाई ३,००० फुट है। कांगों और
पठार-मध्य-द्वितीय पुलकेशी
में आयात किया गया था। उनके समय के दौरान, बादामी चालुक्यों का विस्तार दक्खन पठार तक हुआ। हर्षवर्धन, जो उस समय सकलोत्तारपथेश्वर के नाम से जाने जाते थे, ने
पठार-मध्य-उमरिया ज़िला
सितंबर के बीच होती है। भौगोलिक रूप से, पठार, पहाड़ियों और घाटियों द्वारा दर्शाए गए संरचनात्मक भू-आकृतियाँ जिले के मध्य, दक्षिणी और उत्तर पूर्वी हिस्से में
पठार-मध्य-छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक स्थल
है। मैनपाट इसे छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है। यह सरगुजा जिले में स्थित एक पठार है। यह प्राकृतिक रूप से अत्यधिक समृद्ध है। तिब्बती शरणार्थियों के एक बड़े
पठार-मध्य-पश्चिमी चालुक्य वास्तुशैली
कर्नाटक के तुंगभद्रा क्षेत्र में 11वीं और 12वीं शताब्दियों में पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य के काल में पनपने वाली वास्तु शैली है। उस समय दक्कन
पठार-मध्य-महाराष्ट्र
शासक कहा जाता है। १२ वीं सदी में जल्दी ११ वीं सदी से अरब यात्री दक्कन के पठार के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य और प्रभुत्व था चोल राजवंश.कई लड़ाइयों पश्चिमी
पठार-मध्य-कॉलोराडो
परिदृश्य के लिए प्रख्यात है जो पर्वतों, वनों, ऊँचे मैदानों, मेसू, घाटियों, पठारों, नदियों, और रेतीली भूमियों से अटा पड़ा है। इसकी राजधानी डॅनवर है जो इस राज्य
पठार-मध्य-बैतूल ज़िला
मुलताई तहसील पवित्र नगरी के रूप में भी पूजी जाती है यह सतपुड़ा पर्वत के पठार पर स्थित है। यह सतपुड़ा श्रेणी की संपूर्ण चौड़ाई को घेरे हुए है जो नर्मदा
पठार-मध्य-नज्द
नज्द (अंग्रेज़ी: Najd, अरबी: نجد) अरबी प्रायद्वीप के मध्य भाग का नाम है। यह एक पठारी इलाक़ा है। अरबी भाषा में 'नज्द' का मतलब ऊँचा क्षेत्र होता है और
पठार-मध्य-हाखा
यह चिन राज्य का सबसे बड़ा शहर भी है और समुद्रतल से ६००० फ़ुट ऊपर एक छोटे पठार पर स्थित है। शहर रुंग त्लांग (Rung Tlang) नामक एक बड़े पहाड़ के चरणों में
पठार-मध्य-बरार
समाप्त कर दिया गया। अमरावती और अकोला इसके मुख्य शहर हैं। बुलधाना-यवतमाल पठार पर बरार का सुदूर दक्षिणी इलाक़ा पुर्णा नदी बेसिक की तुलना में कम विकसित है।
पठार-मध्य-रायसेन ज़िला
राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है जिसका मुख्यालय रायसेन है। रायसेन राज्य की राजधानी भोपाल से 45.5 किमी दूर है। स्थान और सीमाएं : रायसेन जिले मध्य प्रदेश
पठार-मध्य-किश्तवार राष्ट्रीय अभ्यारण्य
जिले में स्थित है ।किश्तवार जिले में स्थित, यह पार्क चिनाब नदी के ऊपर एक पठार पर है। इस जगह के बारे में यह जानना वास्तव में दिलचस्प है कि यहां केसर भी
पठार-मध्य-हिमालयी गिद्ध
ज़्यादातर तिब्बती पठार और हिमालय के १२००-५,५०० मीटर ३,९००-१८,००० फीट की ऊँचाई पर पाये जाते हैं। इसका प्रवास आमतौर पर (भारत, नेपाल और भूटान, मध्य चीन और मंगोलिया)
पठार-मध्य-गयाना
है। रेत आंशिक रूप से कम क्रिस्टलीय पठार को ओवरली करती है जो आमतौर पर ऊंचाई में 500 फीट (150 मीटर) से कम होती है। पठार देश के अधिकांश केंद्रों का निर्माण
पठार-मध्य-सुलयमान पर्वत
अधिक ऊँचाई पर है। इन पर्वतों और इस पठार से हिन्द महासागर से आने वाली नाम हवाएँ यहीं तक पहुँच पाती हैं और इस से आगे मध्य और दक्षिणी अफ़्ग़ानिस्तान का इलाका
पठार-मध्य-एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान
विरासत स्थल के रूप में चयन के लिए विचाराधीन है। इस राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य भाग ऊँचे लहरदार पर्वतीय पठार का क्षेत्र है, जिसका आधार औसतन २००० मीटर का है।
पठार-मध्य-बायकाल पर्वत
छोर पर स्थित एक पर्वत शृंखला है। यह शृंखला और पूर्वी सायन पर्वत मध्य साइबेरियाई पठार की दक्षिणी सीमा हैं। साइबेरिया का एक प्रमुख दरिया, लेना नदी, बायकाल
पठार-मध्य-एस्वातीनी
आकार के बावजूद इस देश की जलवायु व स्थलाकृति विविध है — कहीं शीतल व पर्वतमय पठार, तो कहीं उष्ण व शुष्क मैदान | जनसंख्या मुख्यतः नृजातीय स्वाज़ियों की है,
पठार-मध्य-शामगढ़
शामगढ़ (Shamgarh) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के मंदसौर ज़िले में स्थित एक नगर है | यह नगर मेवाड़ में आता है तथा मालवा पठार पर स्थित हैं | शामगढ़ के संस्थापक
पठार-मध्य-मेक्सिको नगर
राजधानियों में से एक है - यह २,२४० मीटर (७,३५० फ़ुट) पर मेक्सिको के मध्य के ऊँचे पठारी क्षेत्र में एक घाटी में स्थित है। तुलना के लिये भारत का शिमला शहर
पठार-मध्य-मलावी
संपूर्ण राष्ट्र के पहाड़ी एवं पठारी होने के कारण कृषियोग्य भूमि की कमी है। यहाँ के पर्वतों की ऊँचाई १,५०० फुट एवं १०,००० फुट के मध्य है। यहाँ से निर्यात की जानेवाली
पठार-मध्य-रियाद प्रान्त
जो 'रमज़ान' और 'रमादान' दोनों रूपों में मिलता है। रियाद प्रान्त नज्द के पठार पर स्थित है और यही सउदी राजपरिवार की गृहभूमि थी। जब २०वीं सदी की शुरुआत में
पठार-मध्य-विंध्य क्षेत्र
में मध्य प्रदेश था। विंध्य क्षेत्र पारंपरिक रूप से विंध्याचल पर्वत के आसपास का पठारी भाग को कहा जाता है। १९४८ में भारत की स्वतंत्रता के बाद मध्य प्रदेश
पठार-मध्य-युगाण्डा
जिसका १३,६८९ वर्ग मील भाग जलग्रस्त एवं दलदली है। देश का अधिकांश भूभाग पठारी है, जो समुद्रतल से लगभग ४,००० फुट ऊँचा है। पश्चिमी सीमा पर रूबंजोरी पर्वत
पठार-मध्य-लखनादौन
वर्ष पुरानी एकमात्र तहसील है। मध्यप्रदेश के सतपुडा पठार में सिवनी जिला के उत्तर में स्थित लखनादौन पठार एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र लखनादौन, घंसोर, धनौरा
पठार-मध्य-लाओस के वन्यजीव
रेंज थाईलैंड से देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से को अलग करती है। ज़ियांगखॉंग पठार इन पहाड़ों को एनामाइट रेंज से अलग करता है, पहाड़ों की एक श्रृंखला जो वियतनामी
पठार-मध्य-मुंबई–चेन्नई रेलमार्ग
साँचा:मुंबई-चेन्नई रेलमार्ग मुंबई-चेन्नई रेलमार्ग भारत में एक रेलवे मार्ग है, जो दक्खन के पठार के दक्षिणी भाग को काटती हुई चेन्नई और मुंबई को जोड़ती है। इसकी लंबाई 1,281
पठार-मध्य-माण्डू
शहर, विंध्य पर्वत में 13 किमी (8.1 मील) पर फैला हुआ है। उत्तर में मालवा का पठार और दक्षिण में नर्मदा नदी की घाटी, परमारों के इस किला-राजधानी को प्राकृतिक
पठार-मध्य-वन्य अभयारण्य
आकर्षण को ओर भी बढा देगा। दर्शकों के लिए गिर वन्य अभयारण्य मध्य अक्टूबर महीने से लेकर मध्य जून तक खोला जाता है लेकिन मानसून के मौसम में इसे बन्द कर दिया
पठार-मध्य-तारिम नदी
महान तारिम द्रोणी का नाम पड़ा है, जो मध्य एशिया में कुनलुन पर्वतों और तियान शान पर्वतों के बीच और तिब्बत के पठार से उत्तर में स्थित है। १,३२१ किलोमीटर
पठार-मध्य-सिउड़ी
रहा था। १९वीं सदी के मध्य भाग में शहर में नगरपालिका बना था। यह शहर समुद्र की सतह से लगभग ७२ मीटर उँची है और छोटानागपुर के पठार के पूर्वी छोड़ में स्थित
पठार-मध्य-कांगो नदी
दुनिया की नौवी सबसे लम्बी नदी है और पूर्व अफ़्रीकी रिफ़्ट की पहाड़ियों-पठारों में अपने स्रोत से लेकर अटलांटिक महासागर में विलय तक ४,७०० किमी का फ़ासला
पठार-मध्य-स्लोवेनिया
नेशनल पार्क, ऎतिहासिक शहर, पत्थरों के भग्नावशेष सरीखे गांव, खुले एल्पाइन पठार, अद्भुत भूमिगत गुफाएं, कंदराओं से निकलती उफनती नदियां, सूरज की रोशनी से नहाया
पठार-मध्य-गिनी (बहुविकल्पी)
अफ्रीका में क्षेत्र न्यू गिनी ऊच्चभूमि, गिनी क्षेत्र में एक जंगली पर्वतीय पठार गिनी की खाड़ी, पश्चिम अफ़्रीकी तट से अटलांटिक महासागर की खाड़ी नया गिनी (पापुआ
पठार-मध्य-पेंच नदी
छिंदवाड़ा ज़िले की तहसील जुन्नारदेव से लगे सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के दक्षिण पठार में उद्गम होता है। दक्षिणपूर्वी सीमा पर इसमें तीव्र मोड़ आता है और यह दक्षिण
पठार-मध्य-ख़ैबर दर्रा
होता है। कुछ दूर तक सड़क एक खड्ड में से होकर जाती है फिर बाई और शंगाई के पठार की ओर उठती है। इस स्थान से अली मसजिद दुर्ग दिखाई पड़ता है जो दर्रे के लगभग
पठार-मध्य-अलाय-पार पर्वत शृंखला
Peak) है। यह पर्वत अत्यधिक हिमाच्छादित रहता है। इसके दक्षिण और पामीर का पठार है। इस वर्ग की अन्य श्रेणियों की तरह यह भी तृतीय कल्प (tertiary period) का
पठार-मध्य-सीतामऊ राज्य
14” उत्तरी अक्षांश और 750 17” और 750 36” पूर्वी देशान्तर के मध्य मालवा के दक्षिणी पश्चिमी पठार पर स्थित है। इसकी समुद्र सतह से ऊँचाई 1700 फीट है। सीतामऊ
पठार-मध्य-हेशी गलियारा
में उत्तरी चीन को तारिम द्रोणी और मध्य एशिया से जोड़ता था। इस मार्ग के दक्षिण में बहुत ऊँचा और वीरान तिब्बत का पठार है और इसके उत्तर में गोबी रेगिस्तान
पठार-मध्य-महबूबनगर
महाविद्यालय भी है। 18,419 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाला महबूबनगर ज़िला दक्कन के पठार पर स्थित है और दक्षिण में कृष्णा नदी से घिरा है। कहा जाता है कि गोलकुंडा
पठार-मध्य-छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल
है। मैनपाट इसे छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है। यह सरगुजा जिले में स्थित एक पठार है। यह प्राकृतिक रूप से अत्यधिक समृद्ध है। तिब्बती शरणार्थियों के एक बड़े
पठार-मध्य-हिन्द महासागर
भारतीय रिज अंटार्कटिक प्लेट से ऑस्ट्रेलियाई प्लेट को अलग करती है। मध्य रिज मध्य-द्वीप के मध्य में और भूमध्य सागर में अफ़्रीका के बीच में उत्तर पर चलता है।
पठार-मध्य-रीवा
क्षेत्र में विन्ध्याचल की पहाड़ियाँ भी स्थित हैं। रीवा शहर मध्य प्रदेश प्रांत के विंध्य पठार का एक हिस्से का निर्माण करता है और टोंस,बीहर.,बिछिया नदी एवं
पठार-मध्य-पुरुलिया
जिला छोटा नागपुर पठार का सबसे निचला चरण है। सामान्य परिदृश्य बिखरी हुई पहाड़ियों वाली लहरदार भूमि है।पुरुलिया सदर उपखंड जिले के मध्य भाग को कवर करता है।
पठार-मध्य-तोंकिन
घाटी और डेल्टा सम्मिलित हैं। मुख्य नदी घाटियों एवं ऊँची मध्य पहाड़ियों (spurs) द्वारा यह युनेन पठार से अलग है। यहाँ कोयला, जस्ता, फॉस्फेट, टिन एवं ग्रैफाइट
पठार-मध्य-खानदेश
खानदेश (कान्हदेश) महाराष्ट्र के दक्षिणी पठार के उत्तरी-पश्चिमी कोने पर स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक क्षेत्र, जो मुंबई से लगभग ३००किमी उत्तरपश्चिम है। खानदेश
पठार-मध्य-चीन का भूगोल
(जैसे गोबी और टकलामकान), रोलिंग पठार और विशाल द्रव्यमान का प्रभुत्व है। इसमें पृथ्वी पर सबसे ऊंचे टेबललैंड, तिब्बती पठार का हिस्सा है, और इसकी कृषि क्षमता
पठार-मध्य-ज्वालामुखी
इसलिए इसे पीलियन तुल्य ज्वालामुखी कहते है। जावा एवं सुमात्रा के मध्य सुण्डा जलडमरू मध्य में 1883 में क्राकाटोआ में-इसमें पुराने शंकु का एक तिहाई भाग हवा
पठार-मध्य-झारखण्ड का इतिहास
शताब्दी के मध्य से झारखण्ड ब्रिटिश राज अधीन हुआ। राज के तहत, 1905 तक, यह क्षेत्र बंगाल प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था, फिर इसका अधिकांश भाग मध्य प्रांतों
पठार-मध्य-भारत के प्रमुख मृदा निक्षेप
जो उत्तर पश्चिम दक्कन पठार में फैली हुई है और लावा प्रवाह से बनी है। वे महाराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ के पठारों को घेरा करते हैं और दक्षिण-पूर्व
पठार-मध्य-ख़्वारेज़्म
किज़िल कुम रेगिस्तान, दक्षिण में काराकुम रेगिस्तान और पश्चिम में उस्तयुर्त पठार है। ख़्वारेज़्म प्राचीनकाल में बहुत सी ख़्वारेज़्मी संस्कृतियों का केंद्र
पठार-मध्य-विश्व के सर्वोच्च पर्वतों की सूची
उपमहाद्वीप से उत्तर में और तिब्बत के पठार से दक्षिण व पश्चिम में स्थित हैं। विश्व के सभी 7,000 मी॰ (23,000 फीट) पर्वत एशियाके मध्य में स्थित हैं। यह सभी एक आयत
पठार-मध्य-रायपुर
उत्तर-पश्चिम में मैकाल की पहाड़ियां हैं। उत्तरी ओर छोटा नागपुर का पठार और दक्षिण में बस्तर का पठार है। रायपुर मुम्बई-हावड़ा रेल लाइन पर है और यह सभी मह्त्वपूर्ण
पठार-मध्य-बंगाल
बंगाल का उत्तरी भाग हिमालय की तराई में बसा है जबकि पश्चिमी भाग छोटानागपुर के पठार का अंग है। "Provisional Population Totals: West Bengal". Census of India
पठार-मध्य-पश्चिमी एशिया
करने के लिए किया जाता है। यह शब्द आंशिक रूप से मध्य पूर्व (Middle East) का समानार्थी ही है, जो कि (मध्य पूर्व) एशिया के भीतर अपनी स्थिति के बजाय पश्चिमी
पठार-मध्य-सिन्ध नदी (मध्य प्रदेश)
सिन्द नदी या काली सिन्ध नदी के लेखे देखें सिन्ध नदी (Sindh River) भारत के मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश राज्यों में बहने वाली एक नदी है, जो चंबल नदी की एक
पठार-मध्य-नागरहोल अभयारण्य
गया। अब यह राजीव गांधी अभयारण्य के नाम से जाना जाता है। यह पार्क दक्कन के पठार का हिस्सा है। जंगल के बीच में नागरहोल नदी बहती है, जो कबीनी नदी में मिल जाती
पठार-मध्य-भारत का पुरापाषाण युग
के निकट और मध्य प्रदेश के भीमबेटका में मिलते हैं। इन अवशेषो की संख्या मध्यपाषाण काल के प्राप्त अवशेषो से बहुत कम है। सिंध के रोहड़ी पठार अथवा विंध्य
पठार-मध्य-अल्फा रीजियो
एक्सप्रेस ऑर्बिटर द्वारा तैयार एक अवरक्त नक्शा दिखाता है कि अल्फा रीजियो पठार की चट्टाने रंग में हल्की है और ग्रह की बहुलता की तुलना में पुरानी लगती है।
पठार-मध्य-विंडहोक
औचीमूईसै) नामीबिया गणराज्य की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह मध्य नामीबिया के खोमास पहाड़ी पठार क्षेत्र में स्थित है, समुद्र तल से लगभग 1,700 मीटर (5,600
पठार-मध्य-फ़्रान्स
ऊपर धाराएँ कम दिखाई देती हैं। ६. रोन सेऑन घाटी - यह मध्य के पठार तथा ऐल्प्स-जूरा-श्रेणियों के मध्य में स्थित है। यह मॉन्टेग्निज डेला कोटि डे ओर, सेऑन तथा
पठार-मध्य-सिन्धु-गंगा का मैदान
से पड़ा है। मध्य गंगा पश्चिम में यमुना नदी से ले कर पूर्व में पश्चिम बंगाल तक फैली हुई है। गंगा के निचले इलाके और असम घाटी के इलाके मध्य गंगा के इलाकों
पठार-मध्य-मंगोल
वाह्य ख़िन्गन पर्वत शृंखला और अल्ताई पर्वत शृंखला के बीच स्थित मंगोलिया पठार के आर-पार फैल गई। मंगोल जाति के लोग ख़ानाबदोशों का जीवन व्यतीत करते थे और
पठार-मध्य-आनातोलिया
अनातोलिया (तुर्की: Anadolu, यूनानी: Ανατολία) आज के तुर्की, ख़ासकर इसके मध्य भाग को कहते हैं। इसका पूर्वी भाग ऐतिहासिक रूप से अर्मेनिया तथा कुर्दिस्तान
पठार-मध्य-दास्त-ए कावीर
दास्त-ए कावीर, मध्य ईरान का नमक का बड़ा पठार एवं मरुस्थल है। यह कैस्पियन सागर के दक्षिण, दक्षिण-पूर्व तथा एलबुर्ज पर्वत के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
पठार-मध्य-गोंड (जनजाति)
प्राचीन समुदाय हैं। जो की भारत के कटि प्रदेश - विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम में गोदावरी नदी तक फैले हुए
पठार-मध्य-सरवात पहाड़ियाँ
पहाड़ियों की शृंखला कम और तिहामाह के तटवर्ती मैदान के पूर्व में स्थित एक ऊँचे पठार का किनारा ज़्यादा लगते हैं। जबल सौदा, यानि 'सौदा पहाड़' ('जबल' का अर्थ अरबी
पठार-मध्य-पुरापाषाण काल
आंध्र, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दक्षिणी उत्तरप्रदेश और बिहार के पठार में मिले हैं। ताम्र पाषाण काल में चिलकोलिथ का खोज हुआ था। शिकारी-फ़रमर Histri
पठार-मध्य-अमरकंटक
और ताप्ती नदियों के बीच स्थित हैं। ये २,००० से ३,००० फुट तक की ऊँचाई वाले पठार हैं, जो दक्कन के लावा से ढँके हैं। ये पहाड़ियाँ आद्य महाकल्प (Archaean Era)
पठार-मध्य-अक्साई चिन
सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक
पठार-मध्य-वाइटेसिए
इण्डोवाइटिस चितालेयाए (Indovitis chitaleyae) नामक जाति के बीच मध्य भारत में दक्कन पठार क्षेत्र में मिले हैं। यह ६.६ करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म (फ़ॉसिल)
पठार-मध्य-इन्दौर
इन्दौर भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक महानगर है। जनसंख्या की दृष्टि से यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है, २०११ जनगणना, के अनुसार २१,६७,४४७ लोगों की आबादी
पठार-मध्य-अर्जेण्टीना
सीमा निर्धारित करती है। इस श्रेणी में ही, मध्य एशिया के पश्चात् सीमा निर्धारित करती है। इस श्रेणी में ही, मध्य एशिया के पश्चात्, विश्व के उच्चतम शिखर स्थित
पठार-मध्य-क़सीम प्रान्त
की सबसे लम्बी घाटी है। क़सीम क्षेत्र ६००-७५० मीटर की ऊँचाई पर है नज्द के पठार के अन्य भागों की तरह इसमें पश्चिम से पूर्व की तरफ़ ढलान है। यहाँ का मौसम
पठार-मध्य-अल्ताई के स्वर्ण पर्वत
झील, बेलुखा पर्वत और उकोक पठार के क्षेत्र शामिल हैं। साइट के यूनेस्को के स्थल के रूप में विवरण में कहा गया है, "यह क्षेत्र मध्य साइबेरिया में उन्नतांश वनस्पति
पठार-मध्य-भारत के प्रस्तावित राज्य तथा क्षेत्र
साक्षर है। खानदेश मध्य भारत का एक क्षेत्र है, जो महाराष्ट्र राज्य के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में पड़ता है। खानदेश तापी नदी की घाटी में दक्कन पठार के उत्तर-पश्चिमी
पठार-मध्य-चम्बल परियोजना
1950 में स्थापित मध्यप्रदेश के चौरासीगढ़ स्थान के पास रामपुरा मानपुरा के पठारो के बीच निर्मित बांध कोटा सिंचाई बांध – कोटा ताप विद्युत घर स्थापित चम्बल
पठार-मध्य-आदिलाबाद
क़िला है। आदिलावाद गोदावरी और पेनगंगा नदियों के बीच 600 मीटर ऊंचे वनाच्छादित पठार पर स्थित है। इस क्षेत्र में टीक और आबनूस की व्यावसायिक स्तर पर कटाई होती
पठार-मध्य-सैतामा शहर
तराई पर स्थित हैं। बाकी का इलाका ज्यादातर उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित ओमिया पठार पर आता है। इस क्षेत्र में बिखरी हुई, प्रमुख नदियाँ लगभग एक-दूसरे के समान
पठार-मध्य-नागौद रियासत
स्थित हैं। इसका क्षेत्रफल 501 वर्गमील है। रियासत का सम्पूर्ण भाग, विन्ध्याचल पठार पर स्थित है। रियासत में मुख्य रूप से टौंस, सतना, अमरन, महानदी आदि नदियाँ
पठार-मध्य-काराकोरम
के दूसरे और तीसरे सबसे लंबे हिमनद हैं। काराकोरम, पूर्वोत्तर में तिब्बती पठार के किनारे और उत्तर में पामीर पर्वतों से घिरा है। काराकोरम की दक्षिणी सीमा
पठार-मध्य-नीलगिरि (पर्वत)
छोटे-छोट गांवों का समूह है जो यहां से लेकर कोयंबटूर के मैदानों और मैसूर के पठार तक फैले हुए हैं। ऊटी से लगभग आठ किलोमीटर दूर स्थित डोड्डाबेट्टा नीलगिरि जिले
पठार-मध्य-हख़ामनी साम्राज्य
किया। 7 वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक, फारस के क्षेत्र में फारस के लोग ईरानी पठार के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में बस गए थे, जो उनके दिल का इलाका बन गया था। इस
पठार-मध्य-क्यूबेक
फ्रांसीसी संस्कृति की छाप है। इसके तीन प्राकृतिक विभाग हैं: (१) कैनाडा का पठार, जिसमें प्रांत का ९३% भाग है, (२) ऐपलैशियन प्रदेश तथा (३) सेंट लारेंस नदी
पठार-मध्य-झारखण्ड
बिहार और दक्षिण में ओडिशा से लगती है। लगभग सम्पूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। सम्पूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य
पठार-मध्य-सिसिली
आदर करते हैं। पलेरमो, कटनिया और मसीना में विश्वविद्यालय हैं। धरातल- धरातल पठारी है जिसकी ऊँचाई उत्तर में ३००० फुट से ६००० फुट है। उत्तर में समुद्र के किनारे
पठार-मध्य-भारत में पारिस्थितिक क्षेत्रों की सूची
(बांग्लादेश, भारत) तराई-दुआर सवाना और घासभूमि (भूटान, भारत, नेपाल) तिब्बत का पठार (अफगानिस्तान, चीन, भारत, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान) पश्चिम हिमालयी चौड़ी पत्ती
पठार-मध्य-स्कैंडिनेविया प्रायद्वीप
से ७१ अंश उत्तरी अक्षांश और ५ अंश से ३१ अंश पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित एक प्राचीन पठार है। इसमें नार्वे तथा स्वीडेन सम्मिलित हैं। इसकी ढाल सामान्यत:
पठार-मध्य-तिब्बताई भाषाएँ
(तिब्बती: བོད་སྐད།) तिब्बती-बर्मी भाषाओं का एक समूह है जो पूर्वी मध्य एशिया के तिब्बत के पठार और भारतीय उपमहाद्वीप के कई उत्तरी क्षेत्रों में तिब्बती लोगों
पठार-मध्य-गीज़ा का महान स्फिंक्स
में निर्मित है, यह मिस्र के शहर गीज़ा में नील नदी के पश्चिमी तट पर गीज़ा पठार पर स्थित है। स्फिंक्स का चेहरा आमतौर पर फिरौन खाफरे का प्रतिनिधित्व करने
पठार-मध्य-कैमरुन
भूगोलिक स्थिति के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम में तटीय मैदान, केंद्र में विच्छेदित पठार, पश्चिम में पहाड़, उत्तर में मैदानी इलाका पाया जाता है. "2014 Human Development
पठार-मध्य-भुसावल
भुसावल की जनसंख्या 187,421 है। यह सतपुड़ा पर्वतश्रेणी और दक्कन पठार की अजंता पहाड़ियों के मध्य ताप्ती नदी के तट पर स्थित है। मुंबई (भूतपूर्व बंबई)-कोलकाता
पठार-मध्य-बाघ
बताया कि मध्य एशिया जाने के लिए कैस्पियन बाघों द्वारा अपनाया गया मार्ग हमेशा एक पहेली माना जाता रहा। क्योंकि मध्य एशियाई बाघ तिब्बत के पठारी बाघों से